अतुल शुक्ला, नई दुनिया जबलपुर। प्रशासन की लापरवाही कहें या फिर पुलिस की अनदेखी, एक बार फिर दोनों विभाग के बीच समंवय की कमी ने एक बड़ी दुर्घटना को अंजाम दिया है। जबलपुर जिले की सीमा में बड़ी संख्या में कबाड़ को नष्ट किया जा रहा है, लेकिन क्या और कब नष्ट किया जाता है, इसकी खबर सिर्फ कबाड़ के संचालक और यहां काम करने वालों को रहती है। जबलपुर जिले में 51 ऐसे कबाड़खाना कहें या फिर कारखाने, जहां पर बड़ी मात्रा में कबाड़ का नष्ट किया जाता है। इन 51 लोगों ने बकायदा इस काम के लिए उद्योग विभाग में पंजीयन करा रखा है।
केंद्रीय सरकार के उद्धम पंजीयन की वेबसाइट में इन्होंने अपना पंजीयन कराया था। इसमें मो. शमीम और उसके बेटे फहीम, दोनों ने अलग-अलग नाम से पंजीयन कराया था। पिता मो. शमीम खान ने रजा ट्रेडर्स के नाम से अपना पंजीयन कराया तो वहीं बेटे फहीम ने रजा मेट्रल इंडस्ट्रीयल ने पंजीयन कराया। दोनों ने आठ दिन के अंतराल में पंजीयन कराया, ताकि एक साथ कबाड़ को नष्ट किया जाए। इन्होंने साधारण कबाड़ नष्ट करने की स्वीकृति ली, लेकिन कबाड़खाने में बम से लेकर आयुध निर्माण में बनने वाले यंत्र और मशीन कलपुर्जे के कबाड़ को नष्ट किया जा रहा था।
जानकार बताते हैं कि कबाड़ नष्ट करने के लिए लोगों को उद्धम विभाग की वेबसाइट से किसी तरह का प्रमाण पत्र नहीं मिलता, बल्कि इसमें साधारण कबाड़ नष्ट करने का काम करने वाले अपना पंजीयन कराते थे। इसमें वेबसाइट पर अपनी जानकारी भरनी पड़ती है, जो स्वघाेषित होती है। इसमें किसी तरह को कोई क्रास चेक लेवल नहीं है। इसी का फायदा उठाकर न सिर्फ शमीम, फहीम बल्कि शहर के दूसरे व्यापारी कबाड़ को नष्ट कर रहे हैं। जबलपुर बायपास की सीमा से लगे ही लगभग एक दर्जन से ज्यादा ऐसे गाेदाम हैं, जहां पर मध्यप्रदेश और अन्य प्रदेशों से कबाड़ लाकर यहां स्टोर कर नष्ट किया जाता है। गौरतलब है कि कुछ माह पूर्व स्टेट और सेंट्रल जीएसटी की टीम ने इन कबाड़ में छापा मारा था और मौके से बड़ी मात्रा में लोहा और चोरी का सामान जप्त किया था।
सूत्रों की माने तो पाप-बेटे,दोनों ही खरतनाक कबाड़ को नष्ट करने का काम कर रहे थे। इन कबाड़ में कई ऐसे कलपुर्जे थे, जो पूरी तरह से नष्ट नहीं हुआ। इन्हें खमरिया और आमला फैक्ट्री से खरीदी जा रहा था। जांच एजेंसी का शक है कि इन कलपुर्जे का उपयोग हथियार बनाने में किया जा रहा था। इतना ही नहीं सूत्र बताते हैं कि विस्फोट में बोफोर्स तोप का बम या एयरक्राफ्ट का बम फट, लेकिन इसे कहां से लाया गया और यह सक्रिय था या निष्क्रिय, यह जांच का विषय है। जांच टीम ने जिला प्रशासन और पुलिस को अपनी जांच से दूर रखा है। उन्हें शक है कि इनमें कई ऐसे लोग भी शामिल हो सकते हैं, जो जांच को प्रभावित करें या फिर उनके परिणाम की जानकारी सार्वजनिक कर दें।
चौकाने वाली बात यह है कि नगर निगम की सीमा में आने वाले कबाड़खाने, निगम के रिकार्ड में अवैध दर्ज हैं, बावजूद इसके इनसे भूमि कर और निगम का टैक्स वसूला जा रहा है। जांच के नाम पर निगम बचता है। यही हाल शमीम कबाड़ी के रजा मेट्रल में है। निगम ने यहां से कर तो वसूला, लेकिन इसकी जांच नहीं की। जबकि यहां पर न सिर्फ साधारण बल्कि खतरनाक कबाड़ को नष्ट किया जा रहा था, लेकिन चार साल के दौरान कोई जांच नहीं हुई। यहां तक की फहीम ने जो निर्माण सरकारी जमीन पर किया गया था, वो भी निजी निर्माण कर लिया। यहां पर बड़ी मात्रा में रेलवे, फैक्ट्री और अन्य जगह का कबाड़ मिला है। हालांकि अभी तक रेलवे की टीम इसको लेकर सक्रिय नहीं हैं।
रजा मेट्रल में कबाड़ विनिष्टीकरण के अलावा शासकीय और अशासकीय वाहनों का भी विनिष्टीकरण किया जा रहा था। चौंकने वाली बात यह है कि कबाड़खाने के पास ही मो.शमीम और मो. फहीम ने वाहनों को खोलने और उन्हें विनिष्ट करने का भी ठेका लिया था। जिसके लिए आरटीओ और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की एनओसी ली गई। दोनों ही विभाग के अधिकारियों से यहां के मुआयना भी किया, लेकिन उन्हें न तो यहां बम के खोखे मिले और न ही किसी तरह की गड़बड़ी समझ आई। आरटीओ जितेंद्र रघुवंशी के मुताबिक मो. शमीम जबलपुर में अकेले ऐसा व्यक्ति है, जो शासकीय और अशासकीय वाहनों को विनिष्ट करने का अधिकृत काम करता है। इसके लिए उसने भारत सरकार के पोर्टल से अनुमति ली है। उसके बाद हमने मौके का मुआयना भी किया था, जिसके बाद उसे यह परमिशन दी गई।
कबाड़खाने में बम विस्फोट के मुख्य आरोपित शमीम खान के खिलाफ जबलपुर, उमरिया, कटनी, नरसिंहपुर, सागर जिले में 24 एफआइआर दर्ज है। 1995 में उसके खिलाफ धोखाधड़ी की पहली एफआइआर गोहलपुर थाने में दर्ज हुई थी। जिसके बाद वह लगातार आपराधिक गतिविधियों में लिप्त रहा। चोरी, डकैती, रेल संपत्ति की चोरी, आपराधिक षडयंत्र जैसे मामलों में पुलिस उसे आरोपित बना चुकी है। उसके खिलाफ जबलपुर के गोहलपुर थाना में धोखाधड़ी, हत्या का प्रयास, मारपीट, आम्र्स एक्ट, सट्टा एक्ट, लूट तथा सिविल लाइन में धोखाधड़ी, आरपीएफ थाना जबलपुर में आरपीएफ एक्ट के कई मामले, उमरिया जिला के पाली थाना में चोरी, आरपीएफ एक्ट, धोखाधड़ी, टेलीग्राफ एक्ट के छह प्रकरण, सागर के बहेरिया थाना में चोरी के दो प्रकरण, कटनी के आरपीएफ थाना में आरपीएफ एक्ट, नरसिंहपुर के गोटेगांव थाना में डकैती, चाेरी, आपराधिक षडयंत्र, जबलपुर के अधारताल थाना में ईसी एक्ट, चोरी, धमकी आदि घटनाओं की एफआइआर दर्ज की गई थी। शमीम अपराध पर अपराध करता रहा, परंतु पुलिस उसे लंबे समय तक जेल में नहीं रख पाई।